सीएम धामी ने ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज को संरक्षित करते हुए खाली जमीन में आयुर्वेद एम्स बनाने के दिए संकेत

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य में विकास तो जरूरी है, लेकिन विरासत के संरक्षण के साथ इसको मूर्त रूप देना होगा। ‘अमर उजाला’ से खास बातचीत में सीएम ने कहा कि राज्य के विकास के साथ ही पर्यावरण और जलवायु में हो रहे परिवर्तन को रोकने की दिशा में वृहद कार्ययोजना भी तैयार की जा रही है।

उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय जैसे ऐतिहासिक धरोहर को तोड़कर आयुर्वेद एम्स बनाने और खाली जमीन पर ध्यान नहीं देने के सवाल पर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि विकास तो जरूरी, लेकिन इसके साथ ही विरासत को संजोने की जिम्मेदारी भी हमारी है। उन्होंने कहा कि ऋषिकुल विद्यापीठ और ऋषिकुल आयुर्वेद कॉलेज पं. मदन मोहन मालवीय के सपनों से जुड़ा है।

इस परिसर को संजोने का पूरा प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि महामना के सपने को साकार करने के लिए उस ऐतिहासिक धरोहर को भी संजोया जाएगा। परिसर को ध्वस्त किए बिना उन्होंने आयुर्वेद एम्स के लिए अलग से व्यवस्था बनाने के संबंध में जल्द ही कार्ययोजना तैयार करने की बात कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में जो भी विकास कार्य होगा, उसे विरासत के साथ बनाए रखने की प्राथमिकता के साथ किया जाएगा।

विकास की गति आगे बढ़ रही

सीएम धामी ने कहा कि जलवायु में हो रहे परिवर्तन को लेकर भी चिंता जताई जा रही है। जलवायु परिवर्तन का असर हर वर्ष बढ़ रहा है। इसको लेकर भी नीति तैयार की जा रही है। इस दिशा में भी विचार किया जा रहा है कि जितनी हमारे राज्य की संख्या है, उससे करीब सात से आठ गुना अधिक लोग यहां आकर पर्यटन से जुड़ते हैं। प्रतिवर्ष यह संख्या कहीं न कहीं बढ़ रही है। इसके लिए अलग से व्यवस्था की मांग की गई है।

सीएम ने कहा कि विकास की गति आगे बढ़ रही है। इस बात का प्रमाण है कि नीति आयोग ने सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने का सूचकांक जो जारी किया है, उसमें उत्तराखंड देश के पहले नंबर के राज्य में आया है। हम इस पर और अच्छे से कार्य करेंगे। देश में उत्तराखंड पहले स्थान पर रहे इसको कायम रखने की भी चुनौती को स्वीकार्य किया है।

कांवड़ को लेकर पूर्व में की गई समीक्षा कारगर

सीएम धामी ने कहा कि कांवड़ यात्रा को लेकर पूर्व में की गई समीक्षा आज कारगर सिद्ध हो रही है। उन्होंने कहा कि लाइन विभागों के साथ बैठक के दौरान यात्रा की तमाम चुनौतियों को लेकर चर्चा की गई। इसमें जो भी समाधान निकलकर आया उसे सभी विभागों को निर्देशित किया गया। उन्होंने कहा कि राज्य में प्रतिवर्ष इस तरह की चुनौती सामने आती हैं। ऐसे मामलों के समाधान के लिए स्थायी तौर पर कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड अपने आगंतुकों और अतिथियों के स्वागत के लिए सदैव तत्पर है।

हिमालयी राज्यों के लिए अलग से व्यवस्था की मांग की

नीति आयोग की बैठक में हिमालयी राज्यों के प्रति चिंता और अतिरिक्त बजट के संबंध में सीएम धामी ने कहा कि नीति आयोग की बैठक में हिमालयी राज्यों के संबंध में मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा कि देश के लिए बहुत सारी योजनाएं बनती हैं, इसमें हिमालयी राज्यों को भी समान तौर पर देखा जाता है। बावजूद इसके उत्तराखंड के अलावा अन्य हिमालयी राज्य में समान स्थिति नहीं होती है। हिमालयी राज्यों की भौगोलिक परिस्थितियां अलग होती हैं। वहां पर कॉस्ट ऑफ मैटेरियल से लेकर अवस्थापना को विकसित करना, स्ट्रक्चर खड़ा करना चुनौतीपूर्ण होता है। यातायात के साधन बहुत अच्छा नहीं होने के कारण से बहुत अधिक कीमत होती है। इससे लागत भी अधिक आती है। उन्होंने कहा कि इन विभिन्न कारणों से जो दिक्कते हैं इस मुद्दे को नीति आयोग की बैठक में उठाया है। उन्होंने कहा कि बैठक में हिमालयी राज्यों की विभिन्न परिस्थितियों को देखते हुए इनके लिए अलग से व्यवस्था की जाए इसकी उम्मीद है।

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