भारतीय शेयर बाजार के रेगुलेटर सेबी ने पिछले शुक्रवार को इस बारे में एक सर्कुलर जारी किया। जनवरी 2024 से लागू होने वाली यह व्यवस्था निवेशकों तथा ब्रोकरों के लिए फिलहाल वैकल्पिक होगी। स्टॉक एक्सचेंज, क्लीयरिंग कॉरपोरेशन, डिपॉजिटरी, नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) और स्टॉक ब्रोकर्स को इसकी तैयारी के लिए छह महीने का समय मिला है। माना जा रहा है कि ब्रोकर के डिफॉल्ट करने अथवा फंड के दुरुपयोग से निवेशकों को बचाने के लिए नई व्यवस्था लाई जा रही है। सेबी के बोर्ड ने इस साल मार्च में इसके प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
अगर आप शेयर बाजार में पैसा लगाते हैं तो अस्बा के बारे में जरूर सुना होगा। अस्बा (ASBA) यानी एप्लिकेशन सपोर्टेड बाइ ब्लॉक्ड अमाउंट। जब आप किसी आईपीओ या एफपीओ के लिए आवेदन करते हैं तो आपके अकाउंट से आवेदन राशि कटती नहीं, बल्कि ब्लॉक हो जाती है। शेयर एलॉट होने पर ही अकाउंट से पैसे कटते हैं। कुछ ऐसी ही व्यवस्था अब सेकंडरी मार्केट यानी लिस्टेड शेयरों की खरीद-बिक्री में होने वाली है। इसे ट्रेडिंग सपोर्टेड बाइ ब्लॉक्ड अमाउंट (TSBA) कहते हैं। TSBA यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) से जुड़ा होगा, इसलिए इसे यूपीआई ब्लॉक फैसिलिटी नाम दिया गया है।
नई व्यवस्था 1 जनवरी 2024 से लागू होगी। शुरू में इसे इक्विटी कैश सेगमेंट में लागू किया जाएगा। बाद में क्लीयरिंग कॉरपोरेशन अन्य सेगमेंट में लागू कर सकेंगे। नई व्यवस्था लागू करने के लिए स्टॉक एक्सचेंज, क्लीयरिंग कॉरपोरेशन और डिपॉजिटरी से नियमों में जरूरी संशोधन करने का निर्देश दिया गया है।
किस तरह के बदलाव होंगे
अभी आम निवेशक जो भी शेयर खरीदना चाहते हैं, उसके लिए अपने ब्रोकर से कहते हैं और पैसे ट्रांसफर करते हैं। ब्रोकर ही एक्सचेंज में खरीदने का ऑर्डर प्लेस करता है। नई व्यवस्था में पैसे निवेशक के अकाउंट में ही रहेंगे, लेकिन क्लीयरिंग कॉरपोरेशन के लिए ब्लॉक हो जाएंगे। ब्लॉक के निर्धारित दिन खत्म होने, क्लीयरिंग कॉरपोरेशन के ब्लॉक हटाने या सौदा पूरा होने तक पैसे ब्लॉक रहंगे। फंड और सिक्युरिटीज (शेयर) का सेटलमेंट क्लीयरिंग कॉरपोरेशन ही करेगा। फंड और शेयरों की हैंडलिंग में ट्रेडिंग मेंबर यानी स्टॉक ब्रोकर की कोई भूमिका नहीं होगी।
नई व्यवस्था की खासियतें
एक निवेशक को कई ब्रोकर के पास ट्रेडिंग अकाउंट रखने की अनुमति है, इसलिए निवेशक चाहे तो कुछ ब्रोकर के पास यूपीआई ब्लॉक और कुछ के पास बिना यूपीआई ब्लॉक के ट्रेडिंग कर सकता है। सभी कैश कोलैटरल यूपीआई ब्लॉक के जरिए ही होंगे। सिर्फ उन्हीं सिक्युरिटीज को बतौर कोलैटरल रखने की अनुमति होगी जो क्लीयरिंग कॉरपोरेशन की स्वीकृत सूची में होंगी।
क्लीयरिंग कॉरपोरेशन यूपीआई ब्लॉक का प्रयोग करने वाले निवेशकों के अकाउंट का सेटलमेंट रोजाना करेगा। यानी अगर क्लायंट (निवेशक) को किसी रकम का भुगतान होना है तो वह सेटलमेंट के दिन ही हो जाएगा। अभी यूपीआई आधारित शेयर खरीद में एक बार में 5 लाख रुपये की सीमा है। यही सीमा यूपीआई ब्लॉक की भी होगी। एक साथ कई ब्लॉक हो सकते हैं, लेकिन कुल मिलाकर सीमा 5 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए।
निवेशक को क्या करना होगा
यूपीआई ब्लॉक सुविधा का इस्तेमाल करने के इच्छुक निवेशक अपने ब्रोकर को इसके बारे में बताएंगे। ब्रोकर वह जानकारी स्टॉक एक्सचेंज को देगा। एक्सचेंज यूनिक क्लायंट कोड सिस्टम में उपलब्ध जानकारी के आधार पर निवेशक के बैंक और डीमैट अकाउंट को वैलिडेट करेगा। उसके बाद एक्सचेंज वह जानकारी क्लीयरिंग कॉरपोरेशन को देगा।
निवेशक को यूपीआई एप्लिकेशन (ऐप) के माध्यम से ब्लॉक क्रिएट करना पड़ेगा। यह ब्लॉक क्लीयरिंग कॉरपोरेशन के नाम होगा और वही उसमें से पैसे निकाल सकेगा। इसमें सिक्युरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) और स्टांप ड्यूटी आदि भी शामिल होंगे। शेयर खरीदने पर कोलैटरल और सौदे की राशि इसी ब्लॉक रकम से काटी जाएगी।
अगर निवेशक ने एक बार में अधिक राशि ब्लॉक की है, तो उसकी एक्सपायरी होने तक उसमें से अलग-अलग सौदों के लिए छोटी-छोटी राशि निकाली जा सकती है। इसे सिंगल ब्लॉक-मल्टीपल डेबिट कहते हैं।
निवेशक ब्रोकर के ऐप के जरिए ब्लॉक रिलीज करने का अनुरोध भी कर सकता है। ब्रोकर वह अनुरोध क्लीयरिंग मेंबर को और क्लीयरिंग मेंबर क्लीयरिंग कॉरपोरेशन को भेजेगा। क्लीयरिंग कॉरपोरेशन के ब्लॉक रिलीज करने के बाद निवेशक का बैंक उसके अकाउंट में पड़ी राशि से ‘फ्रीज’ हटा लेगा। क्लीयरिंग कॉरपोरेशन की तरफ से निवेशक को इसका नोटिफिकेशन भी भेजा जाएगा।
निवेशकों के लिए क्या हैं फायदे
मुंबई स्थित एक ब्रोकिंग हाउस के सीनियर एनालिस्ट के अनुसार सेबी के इस आदेश से ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव होंगे। निवेशकों को इससे आसानी होगी तथा संभव है कि सेकेंडरी मार्केट में ज्यादा संख्या में निवेशक आएं। उन्होंने कहा कि सेबी ने प्रोएक्टिव होकर यह कदम उठाया है। इससे निवेशकों के एसेट की सुरक्षा होगी तथा उनका जोखिम कम होगा। सौदा पूरा होने तक ब्लॉक की गई रकम पर निवेशक का नियंत्रण होने से उन्हें अतिरिक्त सुरक्षा मिलेगी। इसके अलावा, ट्रेडिंग की प्रक्रिया अधिक स्ट्रीमलाइन होगी। जहां तक स्टॉक ब्रोकर की भूमिका का सवाल है तो उन्हें यूपीआई ब्लॉक फैसिलिटी के अनुसार अपने सिस्टम को अपडेट करना पड़ेगा। शेयर बाजार में निवेश को बढ़ावा देने और कंप्लायंस जैसे मामलों में उनकी अहम भूमिका पहले की तरह बनी रहेगी।