राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) अपने गठन से ही कृषि एवं ग्रामीण विकास के लिए निरंतर प्रयासरत रहा है. इसी क्रम में नाबार्ड उत्तराखंड क्षेत्रीय कार्यालय, देहरादून द्वारा एक अनोखी पहल के रूप में एकदिवसीय ‘सेब महोत्सब 1.0’ का आयोजन आईटी पार्क, प्लॉट-42 में स्थित कार्यलय में किया गया. इस अवसर पर नाबार्ड संपोषित कृषक उत्पादक संगठन (एफ़पीओ) एवं जनजातीय विकास परियोजनाओं के निम्नलिखित उत्पाद प्रदर्शनी एवं विपणन हेतु लाए गए थे: उपला टकनोर एफ़पीओ द्वारा हर्षिल घाटी के ‘ए’ – ग्रेड रॉयल डिलीशियस एवं गोल्डन डिलीशियस सेब जो आमतौर पर निर्यात कर दिए जाते हैं और स्थानीय बाज़ार में उपलब्ध नहीं होते है. कपकोट के जैविक विधि से उत्पादित कीवी फ्रूट भू-अमृत एफ़पीओ द्वारा निर्मित जैविक गुड, खंडसारी पाउडर, तेल, घी, शहद आदि चकराता का राजमा, लाल चावल, मडुवा, अखरोट, मसाले, अरहर आदि पंकज यादव, मुख्य महाप्रबंधक जी ने इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया. कार्यक्रम के उद्घाटन के दौरान विशेष अतिथि के रूप में हरिहर पट्टनायक, अध्यक्ष, उत्तराखंड ग्रामीण बैंक, विनोद कुमार, उप महाप्रबंधक, भारतीय स्टेट बैंक, संयुक्त निदेशक, बागवानी, कृषि अधिकारी, बागवानी अधिकारी, राजीव पंत, एसएलबीसी, संयोजक, संजय भाटिया, अग्रणी जिला प्रबंधक के अलावा भारतीय स्टेट बैंक, यूको बैंक, केनरा बैंक उत्तराखंड ग्रामीण बैंक, जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक आदि के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे. नाबार्ड, कृषकों को गांवों से सीधे अपने कार्यालय का मंच प्रदान कर उनके उत्पाद की बिक्री के लिए अवसर प्रदान कर रहा है. इससे जहां एक ओर कृषकों का स्थानीय बाज़ार के साथ संपर्क विस्तार होगा वहीं स्थानीय निवासियों को उचित मूल्य पर उच्च गुणवत्ता के उत्पाद खरीदने का अवसर भी मिलेगा. प्रदर्शनी सह विपणन के लिए लगभग 15 क्विंटल सेब, 05 क्विंटल कीवी, के साथ-साथ अन्य जैविक उत्पाद लाए गए थे. कृषकों के उत्पाद को खेतों से विपणन तक लाने के लिए व्यवस्था नाबार्ड द्वारा प्रदान मोबाइल मार्ट के माध्यम से की गई थी. सभी कृषकों के आने जाने तथा रहने की व्यवस्था भी नाबार्ड द्वारा की गई थी. कार्यक्रम में आईटी पार्क स्थित अन्य कार्यालयों के भी स्टाफ सदस्य आए थे. कृषकों के उत्पाद की मांग का इतनी ज्यादा थी कि उनके सभी उत्पाद हाथो हाथ बिक गए. कुल बिक्री लगभग 03 लाख रुपए की रही साथ ही उन्हें थोक खरीद के भी काफी ऑर्डर मिले. महोत्सव के दौरान सभी क्रय-विक्रय का भुगतान डिजिटल माध्यम से किया गया तथा एफ़पीओ को ओएनडीसी प्लेटफॉर्म पर ओनबोर्ड करने का भी प्रयास किया गया. नाबार्ड उत्तराखंड क्षेत्रीय कार्यालय, देहारादून के इस प्रयास ने इस क्षेत्र में एक नई नींव रखी है जिसे प्रतिवर्ष दुहराया जाएगा और कृषकों के चेहरे पर मुस्कान लाने का प्रयास किया जाता रहेगा |