एक कमरे में अपना गुजारा फकीर चंद करते है और सिर्फ कुछ जरूरत की चीजों से ही अपना जीवन यापन करते हैं | फकीर चंद ने बताया कि वे 5 भाई-बहन थे | लेकिन वह परिवार में अकेले हैं | फ़क़ीर चंद ने खुद की 11 लाख रूपए की राशि और भाई-बहन की मौत के बाद उनकी बचत की गई 24 लाख की राशि को भी दान कर दिया | फकीर चंद जहां भी जाते है उनके पहनावे को देखकर नहीं लगता है की वो किसी संस्था में एक दानी सज्जन के रूप में जाते है | भाई बहनों के पैसे से फ़क़ीर चंद घर बैठकर अपना गुजरा कर सकते थे | लेकिन वो मेहनत की कमाई में विश्वास करते है उनका मानना है मेहनत से शरीर ठीक रहता है |
कहते हैं कि देश के मशहूर व्यापारी रत्न टाटा अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा गरीबों की मदद में लगाते हैं, लेकिन हरियाणा के कैथल जिले के फकीर चंद भी रत्न टाटा से कम नहीं हैं | हालांकि ये कोई बड़े बिजनेसमैन तो नहीं है, लेकिन इनका दिल रत्न टाटा से भी बड़ा है | 52 साल के फकीर चंद 24 साल से कबाड़ी का काम करते है और अपनी कमाई का लगभग 85 प्रतिशत दान में देते है |
फकीर चंद बताते हैं कि वे पिछले 24 वर्षों से गत्ता इक्ठा करके उसे कबाड़ी की दुकान पर बेचकर उस पैसे को दान में देते है | फ़क़ीर चंद इस काम को पैदल ही करते है | फ़क़ीर चंद हर रोज करीब 700 से 800 रूपए कमाते है और 150 -200 बचाकर बाकी के पैसे को दान कर देते है | लोग फकीर चंद इस दरियादिली के कायल हैं | फकीर चंद जैसा कोई ही समाज सेवक व दान करने वाला शायद कोई देश में होगा | फकीर चंद द्वारा दिए गए दान की बात की जाए तो अब तक फकीर चंद 5 गरीब लड़कियों की शादी करवा चुका है | प्रत्येक लडक़ी को शादी में करीब 70 हजार रुपए का सामान भी दिया | इसके अलावा उन्होंने धर्मशाला, गोशालाओ में गऊओं के लिए एक शैड, कुरुक्षेत्र के अरुणाय मंदिर की धर्मशाला में शैड बनवा चुके हैं |