राजकीय कर्मचारियों, पेंशनरों और उनके आश्रितों को कैशलेस इलाज की सुविधा देने के लिए संचालित गोल्डन कार्ड योजना में प्रदेश सरकार बदलाव कर सकती है। योजना में कर्मचारियों व पेंशनरों के अंशदान से ज्यादा इलाज पर खर्च हो रहा है। गोल्डन कार्ड योजना को बीमा कंपनी के माध्यम से संचालित करने पर प्रदेश सरकार कर्मचारी संगठनों के साथ राय लेकर विचार करेगी।
बजट सत्र के दूसरे दिन प्रश्न काल में कांग्रेस विधायक भुवन चंद्र कापड़ी के सवाल के जवाब में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा, 4.85 लाख कर्मचारियों, पेंशनरों व आश्रितों के गोल्डन कार्ड बनाए गए। वर्ष 2021-22 लेकर जनवरी 2025 तक अंशदान से 490 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं। जबकि, कर्मचारियों व पेंशनरों के इलाज पर 661 करोड़ रुपये खर्च किए गए। योजना के तहत कर्मचारी व पेंशनर किसी सूचीबद्ध अस्पताल में कैशलेस इलाज कर सकते हैं।
वर्तमान में अस्पतालों की 80 करोड़ की देनदारी बाकी है। इसके अलावा, चिकित्सा प्रतिपूर्ति में 4.69 करोड़ का भुगतान करना शेष है। उन्होंने कहा, गोल्डन कार्ड योजना में कर्मचारी संगठनों से सुझाव लेकर बदलाव किया जा सकता है। यदि कर्मचारी चाहेंगे तो बीमा कंपनी के माध्यम कैशलेस इलाज की सुविधा देने पर विचार किया जाएगा।