विधानसभा में हुई बैकडोर भर्तियों पर विस अध्यक्ष खंडूड़ी ने जांच समिति गठित की थी। इस समिति ने 19 सितंबर को दी अपनी रिपोर्ट में विधानसभा में वर्ष 2000 से 2022 तक नियुक्त सभी कर्मियों की नियुक्ति को नियम विरुद्ध बताया था। हालांकि वर्ष 2016 से पूर्व नियुक्त कर्मचारियों के संदर्भ में विधिक राय लेने की सिफारिश की गई थी।
विधानसभा सचिवालय ने वर्ष 2016 के बाद नियुक्त कर्मचारियों को हटाना शुरू कर दिया है। सोमवार देर शाम चालीस कर्मचारियों को हटाने के आदेश जारी कर दिए गए। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि कर्मचारियों को चरणबद्ध तरीके से हटाया जा रहा है।
इस पर स्पीकर ने वर्ष 2016 के बाद भर्ती कर्मचारियों को हटाने का निर्णय लिया था। खंडूड़ी ने कहा कि कर्मचारियों को हटाना शुरू कर दिया गया है। ऐसे कर्मचारियों की संख्या ज्यादा है इसलिए इस प्रक्रिया में कुछ समय लगेगा। कर्मचारियों ने लगाया पक्षपात का आरोप इधर,विधानसभा में वर्ष 2016 के बाद नियुक्त हुए कई कर्मचारियों ने पक्षपात का आरोप लगाया है।
उनका कहना है कि वर्ष 2016 की तदर्थ नियुक्ति के मामले में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसले आए हैं। जांच समिति में विधि, न्याय से जुड़ा कोई विशेषज्ञ नहीं था। ऐसे में वर्ष 2016 के बाद नियुक्त कर्मचारियों के मामले में क्यों विधिक राय नहीं ली गई? उन्होंने कहा कि दिसंबर 2012 में पूर्व विस अध्यक्ष हरबंश कपूर व अगस्त 2012 में गोविंद सिंह कुंजवाल के समय नियुक्त कर्मचारियों को महज डेढ़ साल में नियमित कर दिया गया।
उन्हें किस आधार पर राहत दी गई? कर्मचारियों ने 2016 से पहले नियुक्त कर्मचारियों को लेकर विधिक राय लेने में हो रही देरी को पक्षपातपूर्ण बताया। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष खंडूड़ी ने कहा कि विधिक राय ली जा रही है।