गोलगप्पे बेचने वाला बना स्टार खिलाड़ी

उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के रहने वाले क्रिकेटर यशस्वी जायसवाल के यश की गाथा पूरे देश में चर्चा का विषय है। 30 अप्रैल को राजस्थान रॉयल्स व मुम्बई इंडियंस के मैच में राजस्थान से जुड़े यशस्वी जायसवाल ने 53 गेंदों में शतक पूरा किया, जहां 62 गेंदों पर 124 रन की धमाकेदार पारी खेली। आईपीएल में शतक मारने वाले यशस्वी जायसवाल की कहानी संघर्षों से भरी हुई है। 11 साल की उम्र में वो मुम्बई पहुंच गए थे, जहां पर उन्होंने खूब मेहनत की।

खर्च को पूरा करने के लिए यशस्वी ने गोलगप्पे भी बेचे थे। 28 दिसंबर 2001 को यशस्वी जायसवाल का जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम भूपेंद्र कुमार जायसवाल है। उनके पिता भूपेंद्र जायसवाल अपने स्थानीय गांव भदोही में हार्डवेयर की एक छोटी सी दुकान के मालिक हैं। वह छह भाई-बहनों में चौथा पुत्र थे। 11 साल की उम्र में क्रिकेटर बनने की धुन उनपर सवार हो गई थी। जिसके बाद वह घर छोड़कर मुंबई चले गए।

मुंबई पहुंचने के बाद कुछ दिनों तक यशस्वी अपने चाचा के घर पर रहे। यशस्वी जायसवाल को पिता के द्वारा पैसा दिया जाता था, लेकिन जरूरतें पूरी न होने पर यशस्वी ने गोलगप्पे बेचे। जिस ग्राउंड पर वे दिन भर खेला करते थे, शाम को उसी ग्राउंड के सामने वह गोलगप्पे बेचा करते थे। इसके साथ ही उन्होंने डेरी पर भी काम किया।

डेयरी के काम से निकाल दिए जाने के बाद यशस्वी ने टेंट में काम किया। अच्छा खेलने की शर्त पर यशस्वी को टेंट में ही रहने की जगह मिली। इन तमाम संघर्षों में तपने के बाद आखिरकार यशस्वी जायसवाल एक स्टार खिलाड़ी बन गए हैं। वर्तमान में वह भारतीय क्रिकेट टीम के अहम खिलाड़ी बन चुके है |

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