सोमवार को विधान सभा में समाज कल्याण मंत्री चंदन रामदास ने समीक्षा बैठक के दौरान यह निर्देश दिए। कहा कि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के तहत कई मदरसे अभी भी बिना मान्यता के चल रहे हैं। ऐसे मदरसों को सख्त चेतावनी जारी करते हुए कहा कि एक महीने के भीतर शिक्षा विभाग से मान्यता लेने का अल्टीमेटम दिया।
यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ की राह पर अब धामी सरकार पर भी चल पड़ी है। उत्तराखंड में बिना मान्यता चल रहे मदरसों पर सख्ती होने वाली है। उत्तराखंड सरकार के नए आदेश के मुताबिक, बिना मान्यता के चल रहे मदरसों को एक महीने के अंदर शिक्षा विभाग से मान्यता लेनी होगी। इसके साथ ही वक्फ बोर्ड की जमीनों पर हुए अवैध कब्जों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
कहा कि वक्फ बोर्ड के अंतर्गत जमीनों का चिन्हिकरण किया जाए। अनधिकृत कब्जे वाली जमीनों को खाली कराने की हिदायत भी दी।चंदन रामदास ने कहा कि विधवा और दिव्यांग की पुत्रियों की तर्ज पर कोविडकाल में अनाथ हुई बालिकाओं को प्रदेश भर में चिन्हित किया जाएगा।
उनके विवाह के लिए समाज कल्याण विभाग सहायता राशि प्रदान करेगा। अटल आवास योजना के तहत मिलने वाली धनराशि को प्रधानमंत्री आवास योजना की तर्ज पर 1.30 लाख करने का प्रस्ताव आगामी कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा। अटल आवास योजना के तहत जरूरतमंदों को चिन्हित कर लाभ पहुंचाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि समाज कल्याण विभाग के तहत आने वाले आईटीआई में खाली पदों को संविदा, आउटसोर्स से भरने की कार्मिक विभाग से मंजूरी ली जा रही है। दिव्यांगों के लिए सरकार ने नौकरियों में चार प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की है। जनजाति कल्याण के तहत सात कोचिंग संस्थानों को शुरू किया गया है। इनके माध्यम से नौकरी दिलाने वाले कोर्स उपलब्ध कराए जाएंगे।
उत्तराखंड में मदरसों में अब एनसीईआरटी (NCERT) सिलेबस से पढ़ाई होगी। इसके लिए सरकार की ओर से ठोस रणनीति बनाकर कार्य किया जा रहा है। उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स ने बताया था कि बोर्ड के अंदर प्रदेशभर में 103 मदरसे संचालित हैं। कुछ चयनित मदरसों में इसी साल, जबकि शेष बचे मदरसों में अगले साल में हरहाल तक एनसीईआरटी सिलेबस को लागू कर दिया जाएगा।