नाबालिग लड़की को भगाने की कोशिश और एक खास समुदाय के व्यापारियों के उत्तरकाशी से पलायन का मामला सांप्रदायिक रंग लेता जा रहा है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के ट्वीट के बाद गरमाये माहौल के बीच 15 जून को बुलाई गई महापंचायत रोकने के लिए जिलाधिकारी सोमवार को पुरोला पहुंचे।
दोनों समुदाय को समझाने के बावजूद बात नहीं बनी। उधर, पुरोला मसले पर कुछ मुस्लिम विधायकों ने सोमवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने साफ कहा, किसी को भी कानून हाथ में नहीं लेने दिया जाएगा। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। पुरोला में महापंचायत और समुदाय विशेष के लोगों के पलायन के मामले को सोमवार को औवेसी के ट्वीट ने नई हवा दे दी। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा-“भाजपा सरकार का काम है कि गुनहगारों को जेल भेजे और जल्द अमन कायम हो।15 जून को होने वाली महा पंचायत पर तुरंत रोक लगाई जाए। वहां रह रहे लोगों को सुरक्षा प्रदान की जाए। वहां से पलायन कर गए लोगों को वापस बुलाने का इंतजाम किया जाए।”
ट्वीटर पर यह मामला “सेव उत्तराखंड,” “सेव उत्तराखंड हिंदू,” “सेव उत्तराखंड मुस्लिम” हैशटैग से ट्रेंड करने लगा। सियासत गरमाई तो सरकार भी हरकत में आई। एक ओर जहां पुरोला ब्लॉक के ग्राम प्रधान संगठन के अध्यक्ष अंकित सिंह रावत ने एसडीएम को ज्ञापन देकर शांतिपूर्ण महापंचायत के प्रति अपना रुख स्पष्ट कर दिया तो दूसरी ओर जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला ने महापंचायत रोकने की अपील की। प्रधान संगठन ने इससे साफ इंकार कर दिया। देर रात तक डीएम रुहेला और एसपी अर्पण यदुवंशी की कोशिशें जारी थीं।
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