बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय का कार्यकाल आज होगा पूरा, नए की ताजपोशी पर धामी सरकार लेगी फैसला

बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय का तीन वर्ष का कार्यकाल सात जनवरी को पूरा हो जाएगा। अध्यक्ष के रूप में अजेंद्र ने बीकेटीसी की कार्य संस्कृति में सुधार लाने को कई फैसले लिए। विरोध के बावजूद सुधार के लिए तटस्थ रहे। नए अध्यक्ष की ताजपोशी पर धामी सरकार फैसला लेगी।

वर्ष 2022 में उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड भंग करने के बाद धामी सरकार ने विस चुनाव की घोषणा से पूर्व बीकेटीसी का गठन किया, जिसमें भाजपा नेता अजेंद्र अजय को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी थीं। अजेंद्र ने भी पदभार ग्रहण करते ही यात्रा को सुव्यवस्थित करने और बदरीनाथ व केदारनाथ समेत 47 छोटे-बड़े मंदिरों का प्रबंधन देखने वाली बीकेटीसी के ढांचे व कार्य संस्कृति में बड़े बदलाव लाने की पहल शुरू की।

वर्ष 1939 में अंग्रेजों के समय गठित बीकेटीसी में पहली बार कर्मचारियों के लिए तबादला नीति बनाई। इसका कर्मचारियों ने विरोध किया। उन्होंने बीकेटीसी के विश्राम गृहों और प्रोटोकॉल व्यवस्था से जुड़े कार्मिकों को यात्रियों के साथ आतिथ्य पूर्ण व्यवहार के तौर तरीके सिखाने के लिए गढ़वाल विवि के पर्यटन विभाग में तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कराया।

इसके अलावा बीकेटीसी में कर्मियों की पदोन्नति और नियुक्तियों में पारदर्शिता के लिए सेवा नियमावली लागू की। बीकेटीसी में शासन से वित्त अधिकारी का पद सृजित कराते हुए प्रदेश वित्त सेवा के अधिकारी की तैनाती कराई। उनके कुशल वित्तीय प्रबंधन का परिणाम है कि कभी वेतन और पेंशन देने के लिए परेशानियों का सामना करने वाली बीकेटीसी की आय में आज कई गुणा बढ़ी है।

केदारनाथ धाम में मंदिर के गर्भगृह को स्वर्ण मंडित किया। जो चर्चाओं में भी रहा। चारधाम यात्रा के दौरान पहली बार केदारनाथ में वीआईपी अतिथियों के दर्शन करने पर शुल्क लागू किया। बीकेटीसी में सुरक्षा संवर्ग बनाया गया, जिसमें पुलिस उपाधीक्षक समेत 57 पदों के सृजन की अनुमति दे दी है।

अजेंद्र अजय ने कहा, तीन साल के कार्यकाल में मंदिर समिति की कार्य संस्कृति में सुधार लाने के साथ ही चारधाम यात्रा पर आने वाले तीर्थयात्रियों को बेहतर सुविधा देने का प्रयास किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.