उत्तराखंड में भारी वर्षा का क्रम बना हुआ है। शहर में जगह-जगह जमा हो रहा है और फिर मच्छरों की नस्ल विकसित कर रहा है। जलभराव की वजह से डेंगू को खुला आमंत्रण है। नैनीताल जिले में अब तक 67 लोग डेंगू के डंक से पस्त हो चुके हैं, लेकिन लगता है सिस्टम ‘मलेरिया ग्रस्त’ है।
घरों में जमा पानी में डेंगू मच्छर का लार्वा मिलने की स्थिति में दो हजार रुपये जुर्माना लगाने का आदेश जारी कर दिया गया, लेकिन हल्द्वानी शहर को लेकर अफसर बेखबर हैं। यह आदेश नगर निगम का है। फागिंग कई जगह कराई गई, पर अब न तो ऐसे इलाकों की ओर ध्यान दिया जा रहा है, जहां पानी जमा है और न ही मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों से बचाव को लेकर संजीदगी दिख रही है।
हल्द्वानी को गेटवे आफ कुमाऊं कहा जाता है। यहां की सड़कें बदतर हालत में हैं। लगभग हर लिंक मार्ग पर बड़े गड्ढे बने हैं। वर्षा होने पर इनमें जमा पानी कई दिनों तक साफ नहीं होता। कुछ जगह तो पानी एक हफ्ते से जमा है। मच्छर इनमें पैदा हो रहे हैं और फिर बीमारियों का कारण बन रहे हैं।
घरों में पानी जमा मिलने पर जुर्माने का प्रावधान
अस्पतालों में डेंगू बुखार से जिन मरीजों को अब तक भर्ती किया गया, उनमें सबसे ज्यादा हल्द्वानी के ही हैं। सवाल यह उठता है कि अगर नगर निगम घरों में पानी जमा मिलने की स्थिति में जुर्माने का प्रावधान कर सकता है तो फिर व्यवस्था की लापरवाही के लिए कौन जुर्माना तय करेगा?
खाली प्लाट पर जमा पानी
यहां गड्ढों में भरा है पानी प्रेम सिनेमा के सामने सड़क पर, शनि बाजार और उसके सामने खाली प्लाट पर पानी जमा है। रामपुर रोड, मंडी, टीपी नगर में भी बुरा हाल है। कई जगह लंबे समय से पानी ठहरा हुआ है। गौजाजाली, इंदिरा नगर, तिकोनिया क्रासिंग पर भी पानी का जमाव है। इसके अतिरिक्त कई जगह खाली प्लाटों व सड़क के गड्ढो में भी जलभराव है।
मरीजों की संख्या बढ़ी, विभाग एलाइजा जांच ही मान्य
डेंगू के संदिग्ध लक्षणों वाले मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। सरकारी अस्पतालों से लेकर निजी अस्पतालों में पहुंचने लगे हैं। अधिकांश मरीज कार्ड टेस्ट में पाजिटिव पाए जा रहे हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग इस रिपोर्ट को नहीं मानता। विभाग के लिए एलाइजा जांच ही मान्य है। ऐसे में एसटीएच में 10 से अधिक मरीज भर्ती हैं। निजी अस्पतालों में भी मरीज भर्ती हैं।
ऐसे पनपता है डेंगू मच्छर का लार्वा
मादा एडीज मच्छर अपने अंडे पानी से भरे डिब्बों की भीतरी, गीली दीवारों पर देती हैं। यह लार्वा दो से सात दिनों में मच्छर के रूप में पनप जाते हैं। लार्वा से प्यूपा में बदलने के दो दिन बाद ही वयस्क मच्छर में बदल जाते हैं। इसका पूरा जीवन चक्र डेढ़ से तीन सप्ताह में पूरा हो जाता है।
नगर स्वास्थ्य अधिकारीडा. मनोज कांडपाल ने कहा कि वैसे तो गड्ढों में पानी नहीं है। फिर भी जहां-जहां पानी होगा तो वहां कीटनाशक डालकर लार्वा को नष्ट कर दिया जाएगा। इसके लिए हमारा अभियान लगातार चल रहा है।