मंगलौर और बदरीनाथ विधानसभा सीटें भाजपा के कब्जे वाली नहीं थी, लेकिन पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व चाहता था कि ये दोनों सीटें भाजपा की झोली में जाएं ताकि जीत के जरिये पार्टी आसन्न निकाय चुनाव में अपने पक्ष में वातावरण बना सके। दोनों सीटों पर मिली शिकस्त के बाद अब भाजपा के दिग्गजों को केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष हार के कारणों का हिसाब देना होगा। 15 जुलाई को होने वाली पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में भी इस मुद्दे पर मंथन होगा।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट कहते हैं, हार से भी सबक लिया जाता है। इसलिए कार्यसमिति की बैठक में दोनों सीटों पर हुए उपचुनावों के नतीजों की समीक्षा होगी। जहां कमी होती है, उसे दूर की जाती है। मैं इस हार को स्वीकार करता हूं। लेकिन भाजपा जिस स्थान पर खड़ी थी, उसी स्थान पर है। कांग्रेस की जीत पर उन्होंने कहा कि वह अपने दम पर नहीं लड़ी, उसे यूकेडी, वामपंथी पार्टियों का समर्थन था। कांग्रेस को जवाब मंगलौर की जनता ने दिया। कांग्रेस की प्रचंड जीत नहीं हो पाई और वह 422 वोटों के अंतर पर सिमट गई। हम मंगलौर में बढ़े हैं।
भाजपा ने उपचुनाव में दिग्गजों को झोंका था
भाजपा ने विधानसभा उपचुनाव में अपनी पार्टी के सभी दिग्गजों को झोंका था। बदरीनाथ सीट पर गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी को पालक बनाया गया था। कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत चुनाव प्रबंधन समिति के अध्यक्ष थे। उनके नेतृत्व में एक टीम बदरीनाथ में लगातार कैंप कर रही थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस सीट पर प्रचार किया। धामी कैबिनेट के मंत्री भी बारी-बारी से वहां प्रचार करने पहुंचे। लेकिन उनके प्रयास नाकाफी रहे और भाजपा चुनाव हार गई। मंगलौर में हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत को पार्टी ने विस पालक बनाया था। यहां पार्टी सांसदों और विधायकों की एक टीम लगातार पार्टी प्रत्याशी के समर्थन लगातार डेरा जमाए हुए थी।
केंद्रीय नेतृत्व को देना होगा जवाब
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व दोनों विधानसभा सीटों पर हुई पराजय को लेकर पार्टी दिग्गजों से जवाब लेगा। माना जा रहा है कि प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व स्तर पर जल्द ही उपचुनाव में मिली हार की समीक्षा होगी और उन कारणों की पड़ताल की जाएगी, जिनकी वजह से भाजपा चुनाव नहीं जीत पाई।