केदारघाटी को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए डेढ़ माह पहले शुरू की गई पहल अब रंग लाती दिख रही है। संपूर्ण घाटी को प्लास्टिक कचरे से निजात दिलाने के मद्देनजर शुरू किए गए अभियान के तहत यहां अब तक 35 हजार से अधिक प्लास्टिक की खाली बोतलें व पैकेट जमा हो चुके हैं। अच्छी बात यह है कि इस अभियान में व्यापारी तो सहयोग कर ही रहे हैं, तीर्थयात्री और पर्यटक भी प्रशासन के इस कदम का स्वागत कर रहे हैं।
इस वर्ष केदारनाथ धाम में तीर्थयात्रियों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है। इससे प्रशासन को यहां कचरा प्रबंधन में परेशानी का भी सामना करना पड़ा। खासकर प्लास्टिक का कचरा इधर-उधर फेंके जाने से घाटी की सूरत बिगड़ने के साथ यहां के पर्यावरण पर भी खतरा मंडराने लगा था।
समुद्रतल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित केदारघाटी वैसे भी पर्यावरणीय दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। इसे देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी तीर्थयात्रियों और पर्यटकों से घाटी में प्लास्टिक का कचरा इधर-उधर नहीं फेंकने की अपील की थी।
अनिवार्य रूप से क्यूआर कोड अंकित करने के निर्देश
इसके बाद प्रशासन ने क्षेत्र को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए अभिनव पहल की। इसके तहत केदारघाटी की सभी दुकानों में प्लास्टिक की बोतलों के साथ ही बिस्कुट, नमकीन समेत उन सभी खाद्य पदार्थों जो प्लास्टिक की पैकिंग में आते हैं को पैकेट पर अनिवार्य रूप से क्यूआर कोड अंकित करने के बाद ही
- ब्रिकी करने के निर्देश दिए। साथ ही तय किया कि उक्त उत्पादों को निर्धारित से 10 रुपये अतिरिक्त मूल्य पर बेचा जाएगा।
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- स्थान, चयनित दुकानें, वितरित क्यूआर कोड, संग्रह केंद्र, जमा बोतल-पैकेट
- केदारनाथ मंदिर के आसपास, 186, 10650, 03, 8000
- गुप्तकाशी से केदारनाथ तक, 450, 41000, 12, 25000
- तुंगनाथ (चोपता), 100, 15000, 01, 2000खाली बोतल व पैकेट लौटाने पर अतिरिक्त शुल्क वापस किया जा रहा है। तीर्थयात्रियों और पर्यटकों की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए खाली बोतल व पैकेट लौटाने को बाकायदा जगह-जगह संग्रह केंद्र बनाए गए हैं।
क्यूआर कोड लगाने और खाली बोतलें व पैकेट जमा करने की जिम्मेदारी प्रशासन ने हैदराबाद की सामाजिक संस्था रिसाइकल को सौंपी है। संस्था के पदाधिकारियों ने बताया कि उत्पादों में क्यूआर कोड लगाने के लिए गुप्तकाशी से केदारनाथ तक 57 किमी लंबे मार्ग पर 686 दुकानें चयनित की गई हैं।
इन दुकानों में अब तक 51 हजार 686 उत्पादों पर क्यूआर कोड लगाया जा चुका है। वहीं, खाली बोतलें व पैकेट जमा करने के लिए 15 संग्रह केंद्र बनाए हैं, जिनमें 33 हजार खाली बोतलें व पैकेट जमा किए जा चुके हैं। इस अभियान पर केदारनाथ धाम के व्यापारी सतीश गैरोला कहते हैं कि सफाईकर्मी के साथ ही आम व्यापारी भी खाली बोतलों को संग्रह केंद्र में जमा करा रहे हैं। इसका असर घाटी की सफाई व्यवस्था में स्पष्ट देखा जा सकता है।
चोपता में तुंगनाथ मंदिर के पास भी 100 दुकानों में प्लास्टिक की पैकिंग में आने वाले उत्पादों को क्यूआर कोड लगाकर बेचा जा रहा है। इन्हें जमा करने के लिए यहां एक संग्रह केंद्र बनाया गया है, जिसमें अब तक दो हजार खाली बोतलें व पैकेट जमा किए जा चुके हैं। इन दुकानों में 15 हजार से अधिक उत्पादों पर क्यूआर कोड लगाया जा चुका है।
केदारघाटी में जमा प्लास्टिक की बोतलों व पैकेट की स्थित
मयूर दीक्षित (जिलाधिकारी, रुद्रप्रयाग) ने कहा कि यात्रा मार्ग पर व्यापारियों, टैक्सी यूनियन, होम स्टे और होटल कारोबारियों के साथ बैठक कर अभियान को सफल बनाने की अपील की जा रही है। यात्रियों से पेय पदार्थ की बंद बोतलों और प्लास्टिक की पैकिंग में आने वाले बिस्कुट-नमकीन आदि पर 10 रुपये अतिरिक्त शुल्क लिया जा रहा है, जो खाली बोतलें व पैकेट संग्रह केंद्र में जमा करने पर लौटाया जा रहा है।