उत्तराखंड में उद्योग, पर्यटन और शिक्षण संस्थान के नाम पर 12.5 एकड़ से ज्यादा भूमि की खरीद पर रोक लगाई जाए। भू कानून समिति ने अपनी रिपोर्ट में भूमि खरीद की सीमा को लेकर सख्त संस्तुति की है। समिति ने कहा कि 12.5 एकड़ से ज्यादा भूमि की खरीद की मंजूरी देने के शासन के अधिकार पर भी रोक लगाई जाए। किसी को भी जरूरत से ज्यादा जमीन खरीदने का हक न दिया जाए।
समिति ने रिपोर्ट में कहा है कि मौजूदा समय में राज्य सरकार पर्वतीय व मैदानी क्षेत्रों में औद्योगिक, आयुष,स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा, शिक्षा, उद्यान, विभिन्न प्रसंस्करण, कृषि और पर्यटन के लिए 12.5 एकड़ से ज्यादा भूमि दे रही है। आवेदक संस्था,कंपनी समेत किसी को भी आवेदन करने पर भूमि उपलब्ध कराई जाती है। समिति ने यह व्यवस्था तत्काल खत्म करने की सिफारिश की है।
समिति ने इसके स्थान पर हिमाचल की तरह भूमि की न्यूनतम आवश्यकता के आधार पर जमीन देने पर जोर दिया है। साथ ही कहा-सूक्ष्म, लघु व मध्यम श्रेणी के उद्योगों को जमीन की खरीद करने की मंजूरी देने का डीएम को मिला वर्तमान अधिकार भी समाप्त किया जाए। हिमाचल प्रदेश की तरह इस संबंध में मंजूरियां सिर्फ शासन स्तर से दी जाएं। यह मंजूरी भी भूमि की न्यूनतम आवश्यकता के आधार पर ही दी जाए।
राजस्व रिकॉर्ड से लिंक किया जाए आधार कार्ड
राज्य में नगर निगम सीमा से बाहर दूसरे प्रदेश के लोगों के लिए जमीन खरीदने के सख्त मानक हैं। कोई भी बाहरी व्यक्ति 250 वर्ग मीटर से अधिक जमीन नहीं खरीद सकता। इसके बाद भी एक ही परिवार के कई सदस्यों के नाम पर अलग अलग 250 वर्ग मीटर से अधिक भूमि खरीदकर खेल कर दिया जाता है। भू कानून समिति ने इस पर रोक लगाने को पूरे परिवार के आधार राजस्व रिकॉर्ड से लिंक करने का नियम बनाने पर जोर दिया है।