एक साल पहले देहरादून चिड़ियाघर में लाए गए गुलदार के दो शावकों के अब जनता दीदार कर सकेगी। इनके डिस्प्ले के लिए केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने अनुमति दे दी है। अनुमति के बाद बुधवार को वन मंत्री सुबोध उनियाल ने गुलदारों के बाड़े से हरा त्रिपाल उतारा। एक साल में दोनों नर-मादा गुलदार अब काफी बड़े हो चुके हैं। इन्हें अब नया नाम राजा-रानी दिया गया है। यह नाम उन्हें पूर्व के दो गुलदारों राजा-रानी के नाम पर ही दिया गया है।
पिछले साल 26 जून को चिड़ियापुर रेस्क्यू सेंटर से गुलदार के दो शावकों को देहरादून चिड़ियाघर लाया गया था। पिछले साल नर गुलदार की उम्र आठ माह और मादा की 11 माह थी। लेकिन, चिड़ियाघर के पास केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की अनुमति नहीं थी। ऐसे में इन गुलदारों के बाड़े को एक हरे त्रिपाल से ढक दिया गया था। तब से चिड़ियाघर में आने वाले पर्यटक इन्हें देख नहीं पा रहे थे। अनुमति के लिए चिड़ियाघर प्रशासन की ओर से प्राधिकरण को पत्र लिखा गया था। करीब एक साल बाद प्राधिकरण से इनके डिस्प्ले की अनुमति मिल गई है। इसके लिए बुधवार को वन मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में एक कार्यक्रम का आयोजन चिड़ियाघर में रखा गया।
करीब साढ़े पांच बजे गुलदारों के इस बाड़े से वनमंत्री ने हरा त्रिपाल उठाया। इसके साथ ही वहां मौजूद पर्यटकों ने भी गुलदारों को देखा। अपने बाड़े से त्रिपाल उठने के बाद गुलदारों ने वहां खूब अठखेलियां कीं। एक साल बाद बाड़े से हटे इस अंधियारे से मानो इनके सामने एक नया उजाला था। चिड़ियाघर प्रशासन ने इन दोनों को राजा रानी नाम दिया है। चिड़ियाघर रेंजर विनोद कुमार लिंगवाल ने बताया कि इस बाड़े में पहले भी राजा रानी नाम के गुलदार रहते थे। ऐसे में यह बाड़ा ही राजा रानी का है। लिहाजा इन दोनों को भी यही नाम दिया गया है।
बाघों के शावकों के लिए भी जल्द मिलेगी अनुमति
वनमंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि यह खुशी का पल है जब इन दो मेहमानों को जनता के देखने के लिए प्राधिकरण से अनुमति मिल गई है। अब रोजाना इनके दीदार किए जा सकेंगे। चिड़ियाघर प्रशासन की भी उन्होंने इस कदम के लिए प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों यहां पर बाघ के दो शावकों को भी लाया गया था। लेकिन, इनकी भी डिस्प्ले की अनुमति न होने के कारण जनता इनके दीदार नहीं कर सकती है। अब जल्द ही इनके लिए भी अनुमति मिल जाएगी।