पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा गैरसैंण में विधानसभा सत्र आयोजित करने के लिए कैलेंडर जारी होना चाहिए

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गैरसैंण को लेकर अपने मिशन को आगे बढ़ाते हुए सुझाव दिया है कि ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में विधानसभा सत्र आयोजित करने के लिए कैलेंडर जारी किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जब गैरसैंण के नाम पर इतनी भर्तियां की गई हैं तो यहां नियमित सत्र कराया जाना चाहिए। यदि शुरुआत में ही इसका कैलेंडर बनाया जाए, तो यहां सत्र के आयोजन में आसानी होगी। उन्होंने कहा कि गैरसैंणवासियों की सरकार से काफी अपेक्षाएं हैं

डिफेंस कालोनी स्थित आवास पर पत्रकारों से बातचीत में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि अपने सीमांत दर्शन कार्यक्रम के तहत वह गैरसैंण भी गए। गैरसैंण पहाड़ की पीड़ा का प्रतीक है। जिन कारणों से राज्य बना, उसका प्रतीक भी गैरसैंण है।

यहां के निवासी सरकार से काफी अपेक्षा करते हैं। उन्होंने कहा कि एक कहावत है कि बेटा रोता नहीं तो मां भी दूध नहीं देती। इसका मतलब यह नहीं है कि मां दुश्मन है। यह एक स्वभाव है। ऐसे ही गैरसैंण की जनता है, जो उसके लिए आवाज उठा सकती है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि विधानसभा भर्तियों की जांच के लिए जो कमेटी बनाई है, उसके सभी अधिकारी अच्छे हैं। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूडी भूषण की पृष्ठभूमि भी अच्छी है। उनके चरित्र में ईमानदारी है। वह जांच करा रही है तो उन पर विश्वास करना चाहिए।

एक अन्य सवाल के जवाब में भर्ती घोटालों को लेकर उन्होंने कहा कि ये एक आपराधिक कृत्य है। जब धांधली सामने आई तो युवा पीढ़ी से नकारात्मक प्रतिक्रिया आई। सरकार ने इस पर अच्छा काम किया है, जिससे जनता का भरोसा सरकार पर बना है। एसटीएफ अच्छा काम कर रही है, मामले की सीबीआइ जांच की जरूरत नहीं है

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके इस दौरे को लेकर काफी कुछ कहा जा रहा है। सच्चाई यह है कि श्राद्धपक्ष शुरू होने वाला था, श्राद्ध में सीधे मंदिर के दर्शन को नहीं जा सकते। इस कारण वह एक दिन पहले ही बदरीनाथ के दर्शन के लिए निकल पड़े। उन्होंने कहा कि यह उनका दूसरा सीमांत दर्शन दौरा है।

वह गत वर्ष अगस्त में पहला दौरा कर चुके हैं। उस समय वह उत्तरकाशी गए थे। उन्होंने कहा कि इस बार वह माणा क्षेत्र की ओर गए। यहां वह सेना, अर्द्ध सैनिक बल और स्थानीय ग्रामीणों से मिले। उन्होंने कहा सीमा पर तैनात सेना व अन्य लोग चाहते हैं कि पर्यटन इन स्थलों तक आएं। युवाओं को सीमांत दर्शन के लिए जाना चाहिए।

दौरे से पार्टी को राजनीतिक फायदा

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके दौरे से पार्टी को राजनीतिक फायदा होगा। उन्होंने कार्यकर्त्ताओं से मुलाकात की और उनका पक्ष भी जाना। जल्द ही वह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर दौरे के संबंध में विस्तृत बातचीत करेंगे।

पूर्व मुख्यमंत्री ने बताया कि नई दिल्ली में प्रधानमंत्री से हुई मुलाकात के दौरान पिरुल के संबंध में चर्चा हुई थी। उन्होंने कहा कि पिरुल प्रदेश में विकास का बड़ा आयाम बन सकता है। यहां 15 लाख टन पिरुल उत्पादित हो रहा है, जिससे कई उत्पाद बनाए जा सकते हैं। इससे 75 हजार व्यक्तियों को रोजगार मिलने की संभावना है।

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